12 प्रकार के काल सर्प दोष क्या है जानिए

मित्रों आज का मेरा लेख ज्योतिष शास्त्र के ऐसे योग के विषय में हे जिसको लेकर पिछले कई समय से आम जनता में बहुत ही असमंजस एवं सही जानकारी ना मिलने का अभाव देखा जा रहा हे मित्रों हम बात कर रहे हैं काल सर्प दोष की यह एक ऐसा दोष हे जो मानव जीवन में सभी ग्रहों के प्रभाव को निष्क्रिय करदेता हे मित्रों काल सर्प दोष के कुल १२ प्रकार हे जी हाँ कुण्डलौ के १२ भावों में राहु केतु की अलग अलग िस्तिथी से ये १२ प्रकार के काल सर्प दोष उत्पन्न होते हैं आज हम आपको इन्ही १२ तरह के काल सर्प दोष के नाम तथा इन दोषो का कुंडली के १२ भावों पर क्या क्या दोष प्रभाव पड़ता हे कि विस्तृत चर्चा करेंगे

अन्नत नामक काल सर्प दोष

कुंडली के लग्न मतलब प्रथम भाव में जब राहु हो और सप्तम में केतु हो तब अन्नत काल सर्प दोष लगता हे मित्रों जिस जातक की कुंडली में ये दोष होता हे ऐसे इंसान को अपने जीवन काल में स्वस्थ सम्बन्धी परेशानी का सामना करना पडता हे चूंकि जीवन का आरंभ लग्न से होता हे अतः जीवन के आरम्भ से किसी भी कार्य में सफलता ना मिलना इसका एक प्रमुख लक्छण हे जीवन अतयधिक संघर्षमय हो जाता हे मित्रों ऐसी इस्थिति में जातक को १ मुखी रूद्राक्छ धारण करना बहुत लाभ प्रद रहता हे!

कुलिक नामक काल सर्प दोष

जब कुंडली के द्वितिय भाव में राहु हो और अस्टम में केतु हो तब कुलिक नामक काल सर्प दोष उत्पन्न होता हे चूंकि द्वितीय भाव धन पैतृक संपत्ति से सम्बंधित होता इस दोष के प्रभाब स्वरुप इन सब की हानि होती हे कुंडली का यह भाव कुटुंब परिवार से सम्बंदित भी होता हे तो ऐसे जातक को अपने जीवन में परिवार का स्नेह कभी प्राप्त नहीं होता और अपने परिवार से पृथक अपना जीवन यापन करने पर मजबूर होना पड़ता हे ऐसे जातक को जीवन भर २ मुखी रुद्राकछ धारण करना बहुत लाभप्रद रहता हे

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वासुकि नामक काल सर्प योग

जिस जातक की कुंडली के तृतीया भाव में राहु और नवम भाव में केतु गृह होते उनकी कुंडली में वासुकि नामक काल सर्प दोष देखने को मिलते हे तृतीय भाव अपने पराक्रम क लिए जान जाता हे तथा ये भाव भाई बहनों का भी हे इस दोष के प्रभाव स्वरुप ये देखा गया हे की ऐसे जातक को अपने जीवन भाई बहनों द्वारा परेशानी उत्पन्न होती हे तथा सारा जीवन आपसी मतभेद देखने को मिलते हे ऐसे जातक को चाहिए वो सारा जीवन ३ मुखी रूद्राक्छ धारण करें

शंखपाल नामक काल सर्प दोष

जब किसी जातक की कुंडली में चतुर्थ भाव में राहु और दसम भाव में केतु तब शंखपाल नामक काल सर्प दोष बनता हे इस दोष के कुप्रभाव चूंकि चतुर्थ भाव भूमि भवन वाहन के साथ साथ माँ का भी होता हे ऐसा जातक अपने जीवनकाल में इन सभी भौतिक वस्तुओं का अभाव अपने जीवन में पाता हे ऐसे जातक की माँ भी लम्बी किसी बिमारी से ग्रसित होती हे ऐसे जातक को सारा जीवन ४ मुखी रूद्राक्छ धरान करना चाइये

पदम नामक काल सर्प

पंचम भाव में राहु और ग्याहरवें भाव में जब केतु हों तब पदम् नामक काल सर्प दोष लगता हे पचम भाव चूंकि संतान और शिछा से सम्बंधित से होताहै तू इस दोष के परिणाम स्वरुप जातक को संतान से समबनन्दित कस्ट अपने जीवन काल में उठाना पड़ता हे शिछा अधूरी रह जाती हे अगर शिछा हो भी जाए तू उससे कोई लाभ जीवन में नहीं मिलता जातक की संतान उसको जीवन में कस्ट देती हे ऐसे में उपाए स्वररूप पंच मुखी रूद्राक्छ धरान करना बहुत लाभप्रद रहता हे

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महापदम नामक काल सर्प दोष

इस दोष में जब छठे भाव में राहु और भावे बाहरवें भाव में केतु हो तब महा पदम् नामक काल सर्प दोष बनता हे ऐसे जातक को अपने जीवन काल में कर्ज सम्बन्धी परेशानी का सामना पड़ता हे अनेक रोग उसको घेरलेते हैं शरीर के निचे भाग में तकलीफ उत्पन्न होती हे सारा जीवन कर्ज व् परेशानी में बीतता हे उपाए स्वररूप ऐसे जातक को ६ मुखी रूद्राक्च हमेसा धरा करना चाहिए !

तक्छक नामक काल सर्प दोष

जब जातक की कुंडली में सप्तम भाव में राहु हों और लग्न मे केतु हों तब इस तक्छक नामक काल सर्प दोष लगता हे चूंकि सप्तम भाव पत्नी और व्यापार से सम्बंधित होता हे तू ऐसे जातक को अपने वैवाहिक जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ताहै व्यापार में उन्नति नहीं होती और डिडनो दिन अनेक परेशानियां उसे घेर लेती हैं ऐसे जातक को हमेसा ७ मुखी रूद्राकच्च धारण करके रखना चाहिए !

कर्कोटक नामक काल सर्प दोस

जब अस्टम भाव में राहु और द्वितय भाव में केतु हों तब कर्कोटक नामक काल सर्प दोष बनता हे ऐसे जातक के जीवन में अनेक घटनाएं दुर्घटनाएँ घटित होती हे वाहन चलाते समय शरीर का कोई अंग भंग होने की प्रबल सम्भावना होती हे चूंकि अस्टम भाव आयु काभी होता हे तो ऐसे जातक को हम अल्पायु भी कह सकते हैं ९ मुखी रूद्राक्छ हमेसा धारण चाइये !

शंखचूड नामक काल सर्प दोष

जब जातक की कुंडली में नवम भाव में राहु और तृतीय भाव में केतु इस्थापित होते हैं तब इस तरह का काल सर्प दोष देखने को मिलता हे कुंडली में नवम भाब भाग्य का माना जाता हे इस तरह के दोष में जातक किसीभी छेत्र में उन्नति नहीं करपाता भाग्य का साथ नहीं मिलता जीवन के प्रत्येक पड़ाव पर निराशा ही देखने को मिलती हे जातक को हमेसा ९ मुखी रूद्राकछ धारण करना चाइये

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घातक नामक काल सर्प दोष

जब जातक की कुंडली में दसम भाव में राहु और चतुर्थ भाव में केतु हों तब घातक नामक काल सर्प दोष देखने को मिलता हे दसम भाव चूंकि नौकरी ,मान प्रतिस्ठा से सम्बंधित होता हे इस तरह के दोष में जातक को सारा जीवन अपने कार्य छेत्र में बहुत परेशानी उठानी पड़ती हे कहीं एक जगह लम्बे समय नौकरी करना मुश्किल होता हे प्रत्येक छेत्र में अपम्मान का सामना करना पड़ता हे चूंकि दसम भाबभाव पिता से सम्बंदित भी होता तू ऐसे जातक के पिता क साथ भी सम्बन्ध अच्छे नहीं होते उपाए स्वरुप १० मुखी रूद्राक्छ हमेसा धरान करना चाइये !

विषधर नामक काल सर्प दोष

जातक की कुंडली में जब ग्यारवें भाव में राहु और पचम भाव में केतु हों तो विषधर नामक काल सर्प दोष लगता हे ग्यारवाँ भाव इनकम से सम्बंधित होता हे ऐसे जातक को सारा जीवन धन पैसों की तंगी देखें को मिलती हे कितना भी कमा ले कुछ भी बचत नहीं हो सकती हमेसा पैसों का अभाव बना रेहता हे उपाए स्वरुप ११ मुखी रूद्राक्छ हमेसा धारण करना चाहिए

शेषनाग नामक कल सर्प दोष

जिस जातक की कुंडली में शेषनाग नामक काल सर्प दोष लगता हे ऐसे जातक को अपयश का सामना करना पड़ता हे अपने से कम पड़े लिखे व्यक्ति के अधीनस्थ होकर काम करना पडता हे चूंकि की यह भाव व्यय से सम्बंधित भी हे फ़लस्वरूप्प कितना भी कमाले कुछ नहीं बच सकता ऐसे जातक को हमेसा १२ मुखी रुद्राछ धारण करना चाहिए

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