सभी पाठकों को मेरा सादर प्रणाम मैं मनीष रावत डायरेक्टर Astro Rawat आज मे एक ऐसे ज्वलंत मुद्दे पर अपने विचार रखने जा रहा हूॅ जो कि सदियो से एक विवद का विषय रहा है। ‘‘राममंदिर’’ माननीय सर्वोच्य न्यायलय के निर्देशानुसार मंदिर बनने का मार्ग अब प्रशस्त हो गया है किन्तु मेरा एक ज्योतिषी होने के नाते मेरा ये धर्म और कर्म बनता है कि ज्योतिषिय गणना के आाधार पर आने वाली पीढ़ी के लिये अपने कुछ विचार रख सकों।
मित्रों राम मंदिर शीलान्यास दिनांक 05 अगस्त 2020 मे समय दोपहर 12 बजें की कुण्डली मेने बनाई 1 कुण्डली तुला लग्न व कुम्भ राषि की बनी कुण्डली के केन्द्र मे शनि अपनी स्व राशि मकर मे बैठे हुये है। ज्योतिषिय फलित अनुसार ऐसी स्थीति मे विष्व पटल पर राममंदिर की कीर्ति चारो दिषाओं मे फैलेगी। दशम् भाव मे सूर्य को एक साथ होना बुध आदित्य योग का निर्माण करता है। फलित ज्योतिष के अनुसार इस तरह के योग मे राममंदिर हिन्दुस्तान ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विष्व मे अनेक धार्मिक स्थानो से ऊपर अपनी एक अलग पहचान के रूप मे स्थापित रहेगा। लेकिन कुण्डली मे सूर्य और शनि का दृस्टि सम्बन्ध समय समय पर राममंदिर ट्रस्ट के सदस्यो मे आपसी मतभेद कराता रहेगा। यहाॅं एक बात और गौर करने योग्य है लग्नेष शुक्र का राहु के साथ होना संस्थान के सदस्यों के आचरण और व्यवहार पर भी एक बहुत बड़ा प्रष्न चिन्त लगाता है। मुख्य सदस्यो के एक तरह के व्यवहार व आचरण से मंदिर के वैभव व कीर्ति पर समय समय पर अपयष की देखने का मिलेगा। सम्पूर्ण ज्योतिषिय गणना के आधार पर यह कहा जा सकता है कि राममंदिर की कीर्ति और वैभव चारो दिशाओं मे फैलता रहेगा और यह अफवाह कि राममंदिर को पुनः कोई क्षति होगी पूर्ण रूप से मिथ्या और असत्य है।